कभी वक़्त मिले तो,
देख लेना…
ज़िन्दगी की किताब के,
तुम पन्ने पलटना…
उन गुजरे हुए लम्हो में,
कुछ अपनों को ढूंढ़ना…हर रिश्ता टूट जाता है,
हम पीछे रह जाते है..
कुछ लम्हे साथ निभाकर,
सब आगे बढ़ जाते है….जो रहता है साथ हमेशा,
बस वो ही सच्चा है…
चाहता है वो दिल से तुम्हे,
बस वो ही अपना है…हर सुख दुःख में ,
वो तेरे साथ ठहरा है …
ये ही वो पन्ना है,
जो सबसे सुनहरा है….अनुकृति
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खुदा की मर्ज़ी…
शिद्दत भी थी ईमान भी था…
हर दुआ में उनका नाम भी था..
ना मिले वो,
इसमें खुदा की कोई मर्ज़ी थी…
गर मिल जाते तो साथ जीना दुश्वार ही था….
साथ…..
शिकवा नहीं ज़िन्दगी से…
की तेरा साथ नहीं..प्यार की बात ना सही..
कुछ शिकायत ही कर दे…
किस्मत…..
हौसला रख ऐ दिल..
तुझे चाहने वाले और है…
जो छोड़ गया..
उनकी किस्मत में तू ना था..
भूल…
जाते जाते कर गए…
वो हमको यूँ मजबूर…
ये दिल मेरा ना रहा…
कर बैठा था ये भूल…
अब किससे करे शिकवा…
क्या गिला करे..
गलती की तो सज़ा पाई…
होना था ही इसे चूर….
आगे बढ़ते रहना
कोई साथ दे न दे..
बस तुम आगे बढ़ते जाना..
हर आग में जलकर..
तुम सोना बन निखरते जाना..
वो चाहते है तू हार जाये..
थककर चलना छोड़ दे..
पर तुझे अब लड़ना है..
जीत कर उन्हें दिखाना है..
लगाने दे उन्हें ज़ोर एड़ी चोटी का…
बस तुम अपने इरादे बुलंद रखना….